आंसू बनकर आँखों में निशानियां रह जाएँगी. लबों पे ये हंसी की बस कहानियां रह जाएँगी . जितनी करनी हो शरारत ,आज ही कर लीजिए . कल रहें न हम तो ये ,गुस्ताखियाँ रह जाएँगी. शामों को बस बेकार की बातों में बिता दीजिए 'बदतमीजी' को अपनी हदों तक पहुंचा दीजिए घूमिये ,'आवारापन' की सरहदों को लांघकर हर एक पल में एक उम्र का मज़ा ले लीजिए कल रहेगा कुछ नहीं ,वीरानियाँ रह जाएँगी कल रहें न हम तो ये ,गुस्ताखियाँ रह जाएँगी. कल रहें न हम तो ये ,गुस्ताखियाँ रह जाएँगी.