खेल जिंदगी को जीने का।। मैं दौड़ने वाली लड़की थी, सैंडल,शूज़ पसंद करने वाली। चप्पल,स्लीपर से नफरत करने वाली। आज भी करती हूँ। पर वो मेरे उत्साह को तोड़ने वाले लड़के थे। मुझे औकात दिखाने में मशरूफ हर बार रहते थे। मुझे अदृश्य बेडियों में बाँधकर,स्वतंत्रता के झूठे सपने दिखाते थे। मेरे सपनों को मसलकर,अपने सपनों को पूरा करते थे।