"कोई नहीं पूछता तुमने यह संघर्ष भरे दिन कैसे काटे,, "जब चुभते थे तुम्हारे पैरों में कांटे, "दो जून की रोटी जुटाने के लिए भी करनी पड़ती थी बहुत मेहनत,, कहीं दूर खड़ी हंसती थी "हम पर वह महलों की शोहरत,,,, ''आज है शोहरत कामयाबी बुलंदियां खींचे चले आते हैं यार दोस्त,, " पहचान जोड़ते हैं हमसे अपनी, "जो रूठ गई थी महबूबा हमारी साइकिल देखकर,,, "आज वह भी ललचाए भरी नजरों से कार की तरफ झांकती ,, "फिर हम से सब पूछते हैं 'इतनी आसानी से तुम्हें यह सब कैसे मिल गया,,, '' तुम पर तो खुदा की बड़ी मेहर है,,,, """सब यह पूछते हैं,,,, Aesthetic Thoughts द्वारा दिया गया एक सुंदर #doublecollab #ATपूछताdual #yqaestheticthoughts #सबपूछतेहैं #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi