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दस दिन ******* गए थे ज्ञान की धरती घूम आये थे उस प

दस दिन
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गए थे ज्ञान की धरती
घूम आये थे उस पीपल को
इस सोच के साथ
कुछ तो खास होगा यहाँ
अंदर में तस्वीर खींचना मना था
कुछ खास था ऐसा नही था
लेकिन कुछ ढूंढना था
इत्तेफाक ही अपने मन की
किया और जिया भी
नहीं पता किसे क्या लगा
मेरा आत्म विश्वास जागा
पहली दफा मंच से पूरा गीत गाया
बड़ा बेसुरा था लेकिन गाया
बड़े मंच भाषण दिया
पता नही कैसे लोगो ने सराहा
एक छोटा उम्र में दोस्तो की तरह जिया
खूब आल बल बिना रुके 
ज्ञान की धरती बोध गया में अपने लिए ज्ञान
आखिर पा ही लिया
जहा किसी ने सिखाया था सिर्फ अच्छी चीजें
तलाशो be positive

©ranjit Kumar rathour
  दस दिन

दस दिन #कविता

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