खो गए हैं जो वक़्त की धुंध मे कहीं, वो धुंधले अक्स जेहन में उभर जाती हैं... मशगूल है वो अपनी नई दुनिया मे इस कदर, सदाएँ मेरी उस संगदिल तक आ के लौट जाती हैं... न जाने कैसे हुई ऊसर ये प्यार की धरती, अब तो यहाँ बस नफरतें ही बोई जाती हैं... मिल भी जाओ तुम अब ऐ जिन्दगी तो भी कुछ हासिल नही, किनारे मिलते नही उन कश्तियों को अक्सर जो भवंर मे डूब जाती हैं... ©BS NEGI किश्तियाँ