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माही तुम जो चाहती हो ये बस में नही है मेरे ह

माही 

 तुम जो चाहती हो ये बस में नही है मेरे  

हां में तुम्हे भूल जाऊँगा ये मुमकिन है मगर 

तुम मरने की दुआ करो हक में मेरे

©नासिर काज़मी #Thoughts
माही 

 तुम जो चाहती हो ये बस में नही है मेरे  

हां में तुम्हे भूल जाऊँगा ये मुमकिन है मगर 

तुम मरने की दुआ करो हक में मेरे

©नासिर काज़मी #Thoughts