तू जितना ज़्यादा बोलती मैं उतना ही हूँ शाँत प्रिये, सुनना अच्छा लगता है तेरा हर एक व्रतान्त प्रिये। तन्हाई हो या हो महफ़िल मन रहता तुझ बिन अशान्त प्रिये, दिल को चाहिए तेरे दिल में बस थोड़ा सा एकांत प्रिये। तुझ बिन ज़ीना क्या ज़ीना है जीवन का क्या अर्थ प्रिये, क्या ख़ुशी क्या गम तुम बिन सब कुछ है व्यर्थ प्रिये। मन विचलित हो जाता है ग़र न हो तुझसे कोई संवाद प्रिये, वो संवाद भी क्या संवाद है जिसमे न हो कोई विवाद प्रिये। बेशक़ दूरी बढ़ रही दरम्यां बदल गए अब हालात प्रिये, मैं वहीं हूँ दिल वही है न बदलेंगे कभी जज़्बात प्रिये ।। #randomthoughts #yqdidi #yqbaba #writtingmoods