नववर्ष की संकल्पना बीत गया है जो वर्ष अब वह पुनः न दोहराये आनेवाले वक्त सुखद हों शुभकामना हमारी सुनहरी सुबह हो, छंट जायें निराशा के अंधेरे नववर्ष के लिए बस यही है संकल्पना हमारी गया वर्ष बीत गया बस दुःख और आपदा में, परंतु हमने ढेरों साहस हैं संजोए बुरे समय में बदलीं हैं कुछ आदतें ,सीखे हैं नये तौर तरीके बदले हैं सोच हमारे प्रकृति हेतु बुरे समय में अतीत से सीखे तो कष्ट नहीं होगा तनिक भी भविष्य अच्छे होंगे यही परिकल्पना हमारी सुनहरी सुबह हो, छंट जायें निराशा के अंधेरे नववर्ष के लिए बस यही है संकल्पना हमारी विगत हुई त्रुटियों की पुनरावृत्ति ना होने पाए प्रयत्नों से ही जगत को नया आयाम मिलेगा नुकसान की होगी भरपाई विशेष लाभ होगा व्यथित हृदय को पुनश्च थोड़ा विश्राम मिलेगा उत्साह की पराकाष्ठा नवीन ऊर्जा संचरित हो हर्षातिरेक से रची-बसी यह नववर्ष हो हमारी सुनहरी सुबह हो, छंट जायें निराशा के अंधेरे नववर्ष के लिए बस यही है संकल्पना हमारी ~~~राजीव भारती ©Rajiv Ranjan Verma # नववर्ष की संकल्पना #HappyNewYear