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कभी मौसम बसंती तो कभी पतझर बुलाता है रास्ते में खड़

कभी मौसम बसंती तो कभी पतझर बुलाता है
रास्ते में खड़ा वो मील का पत्थर बुलाता है
हो गयी शाम तू अब तो परिंदे लौटकर आजा
यही कहकर के अब मुझको, हमारा "घर" बुलाता है

--प्रशान्त मिश्रा घर बुलाता है
कभी मौसम बसंती तो कभी पतझर बुलाता है
रास्ते में खड़ा वो मील का पत्थर बुलाता है
हो गयी शाम तू अब तो परिंदे लौटकर आजा
यही कहकर के अब मुझको, हमारा "घर" बुलाता है

--प्रशान्त मिश्रा घर बुलाता है