आईने से नज़रें चुराते जा रहे हो अमा! ये कैसी दुनियां बसाते जा रहे हो लगी जो रोशनी के सिलसिले सी नूरे निशां ये किसके वास्ते जी को जलाते जा रहे हो बचे कितना हो आंखों में कूवत है कितनी कहो किसके लिए सपने सजाते जा रहे हो महफ़िल खूब लगाई है आंगन में तुमने किसी कोने में खुद को नज़र भी आ रहे हो यों तो हर खुशनुमा तस्वीर की तहरीर हो तुम ख़ुद को सरकस का जोकर बनाते जा रहे हो बुतों की दुनियां में ये ज़िंदा हाथ दुआ के उठाए हर रोज़ थोड़ा - थोड़ा खुद को मिटाते जा रहे हो #toyou #yqlove #yqbeinginlove #yqnature #yqworld #yqwaterways