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White तबाही की दहलीज पर आकर खड़े हैं मत पूछो ये म

White तबाही की दहलीज पर आकर खड़े हैं 
मत पूछो ये मंजर क्या हैं 
बाहर से जरूर ठीक नजर आते हैं 
सच पूछो मेरे अंदर क्या हैं 
निकलते नहीं बूंद भर आंसू भी 
मेरे आंखो से इससे ज्यादा बंजर क्या हैं
और टूटे हुए सपनो का दर्द इतना गहरा हैं 
मत नापो ये समंदर क्या हैं।

©Dips Kumar 
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dipakkumar2126

Dips Kumar

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