गम जो ये बढ़ रहे हैं अहस्ता - अहस्ता। जाम भी बेअसर हो रहे हैं अहस्ता-अहस्ता। जाने अनजाने में हुई गुस्ताखीयाँ, हों माफ। दाम नफरतों के बढ़ रहे हैं अहस्ता अहस्ता। ©ਦੀਪਕ ਸ਼ੇਰਗੜ੍ਹ #LO√€ #br💔ken ਲਵ ਕੋਟਸ