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कलम उठा स्याही से इजहार कर। अब और समय न बरबाद कर ।

कलम उठा स्याही से इजहार कर।
अब और समय न बरबाद कर । 
वो जिसे है इंतजार तेरा 
तू उस का ऐतबार  तो कर।
कभी फुर्सत मिले तो प्यार कर। 

क्यों मसरूफ़ रहे जमाने में
खुद से एक मुलकत तो कर
तेरे पांव की ये जो बेड़ियाँ
इन्हें तू तार तार कर
कभी फुर्सत मिले तो प्यार कर। 

खुद के लिए कब तक जिएगा। 
कभी दुसरो का भी ख्याल कर। 
नफ़रत भारी जो दिल मे
उसका तू संहार कर । 
कभी फुर्सत मिले तो प्यार कर।

©kalam
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