किससे कहूं बताते जाना या जो लिखा मिटाते जाना खामोशी अपने आँखों कि होठों पर चिपका जाते हो रात चांद की मनमानी पर पहरा कोई लगाते जाना और सुबह स्वर्णिम किरणों को हाथों में सिमटा ले जाना सदावाहिनी नदियों का जल जिस हिमांक में पलता बढ़ता सूरज की अंतिम सांसें कुछ उसको भी गिनवाते जाना जलता गलता रहा हिमालय मौसम की अगुआई करता शीत - उष्ण कितना मथता है समतल पर जीवन पलता है कभी वसंत का किस्सा हो तो इसको ज़रा सुनाते जाना कोंपल का नन्हा पौधा वो डाल - पात जो फेंक किलकता मन के आँगन की माटी का संजीवन मुठियाते जाना क्यारी में ये रजकण सौरभ श्वांस - श्वांस बिखराते जाना जाते हो बेशक तुम जाना किससे कहूं बताते जाना #toyou #yqquest #yqmoon #yqmusic #yqdesert #yqdesertion #yqlove #yqyouandme