White चुरा लेती हूं नज़रें .. उन नज़रों से जो अंदर तक चीर देती हैं .... और अहसास करवाती हैं अभिशापित होने का...... क्यों नहीं होता कोई अस्तित्व एक औरत का ? क्यों निर्भर हो जाती है एक ही इंसान पर ? क्यों हो जाती है जिंदगी खत्म उसके जाने के बाद ? इससे अच्छा तो वह सती प्रथा थी रोज़ रोज़ मरने से अच्छा एक ही दिन मर जाती थी अपने पति के साथ उसी की चिता पर.... ©Anita Mishra #Sad_Status कविता कोश कविताएं हिंदी कविता