किसी जन्नत के हूर से कम नही थी वो चेहरा भी उसका कोहिनूर से कम नही था, खुले केश उसके गज़ब का कहर ढा़ते थे अधरों पर हल्की गुलाबी लाली एकदम जह़र लगते थे बांध कर आती थी कभी वो ढिली चोटी और दाये कांधे से बाहर आगे की ओर रखती थी, नज़रे उसकी तो माशाअल्लाह... हर कोई फिदा हो जाता था, काश ! होती वो हमारे काॅमर्स में एक दिल्लगी हम भी कर लेते, खैर...सुनने में अब आया है वो आर्ट वाली अप्सरा भी काॅमर्स वाले लड़के पर मरती थी...!! -@आक्रोश(#स्वीकार) #img.source...yutube # स्वीकार