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# #प्रेमाभक्तिपथ श्रीकृष्ण ने पहल | Hindi Video

#प्रेमाभक्तिपथ श्रीकृष्ण ने पहली बार इस दिन चराई थी गाय, जानें क्या हुआ था तब कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यानी आज गोपाष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। जैसा कि इसके नाम से पता चला रहा है, आज के दिन गौ माता की पूजा की जाती है। मान्यता है कि गाय की पूजा करने से 33 करोड़ देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। कथाओं में जानकारी मिलती है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार गायों को चराना आरंभ किया था, इसी उपलक्ष्य में गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। आइए जानते हैं गोपाष्टमी की कथा और जिस समय भगवान कृष्ण ने गाय को चराया था, उस समय उनकी उम्र क्या थी। गोपाष्टमी की कथा भगवान कृष्ण ने गोपाष्टमी से ही गौ चरण लीला की शुरुआत की थी। इसके पीछे के एक कथा मिलती है। कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण 6 वर्ष के हुए थे, तब उन्होंने अपनी मां यशोदा से कहा था कि मां अब हम बड़े हो गए हैं इसलिए आज से बछड़ों को नहीं बल्कि गायों को चराने जाएंगे। मैया यशोदा ने कहा कि ठीक है इसके लिए तुम पहले अपने बाबा से पूछ लेना। गाय के साथ भूलकर भी न करें ये काम, मिलता है घोर नरक और जीवनभर की परेशानियां पंडितजी के पास गए श्रीकृष्ण यशोदा मैया के इतने कहने पर झट से कृष्णजी नंद बाबा से पूछने चले गए। लेकिन नंद बाबा ने कहा कि अभी तुम छोटे ही हो इसलिए बछड़ों को चराओ लेकिन कृष्णजी अपनी बात पर अड़े रहे। बालक की जिद को देखते हुए नंद बाबा ने कहा, अच्छा ठीक है… जाओ पंडितजी को बुला लाओ, गोचारण का मुहूर्त निकलवा लेंगे। कृष्ण भागे-भागे पंडितजी के पास गए और बोले कि पंडितजी-पंडितजी जल्दी से गायों को चराने का मुहूर्त निकाल दो… मैं आपको खूब सारा माखन दूंगा। पूरे ब्रज में मनाया जाता है गोपाष्टमी का उत्सव पंडितजी को कृष्णजी की बात पर हंसी आ गई और कहा कि चलो नंद बाबा के पास चलते हैं। पंडितजी पंचांग लेकर कृष्णजी के साथ नंद बाबा के पास चलेऔर इसके बाद पूरे साल तक कोई मुहूर्त नहीं है। पंडितजी की केवल यही बात सुनकर कृष्णजी भागकर गए और गायों को चराने के लिए निकल पड़े। कृष्णजी ने जिस दिन से गाय चराना शुरू किया था, उस दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी, इसलिए इस दिन गोपाष्टमी का पूरे ब्रज में उत्सव मनाया जाता है और गौ वंश की पूजा की जाती है।  गोपाष्टमी की अन्य कथा मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तिथि तक भगवान कृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को उठा रखा था।

#प्रेमाभक्तिपथ श्रीकृष्ण ने पहली बार इस दिन चराई थी गाय, जानें क्या हुआ था तब कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यानी आज गोपाष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। जैसा कि इसके नाम से पता चला रहा है, आज के दिन गौ माता की पूजा की जाती है। मान्यता है कि गाय की पूजा करने से 33 करोड़ देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। कथाओं में जानकारी मिलती है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार गायों को चराना आरंभ किया था, इसी उपलक्ष्य में गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। आइए जानते हैं गोपाष्टमी की कथा और जिस समय भगवान कृष्ण ने गाय को चराया था, उस समय उनकी उम्र क्या थी। गोपाष्टमी की कथा भगवान कृष्ण ने गोपाष्टमी से ही गौ चरण लीला की शुरुआत की थी। इसके पीछे के एक कथा मिलती है। कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण 6 वर्ष के हुए थे, तब उन्होंने अपनी मां यशोदा से कहा था कि मां अब हम बड़े हो गए हैं इसलिए आज से बछड़ों को नहीं बल्कि गायों को चराने जाएंगे। मैया यशोदा ने कहा कि ठीक है इसके लिए तुम पहले अपने बाबा से पूछ लेना। गाय के साथ भूलकर भी न करें ये काम, मिलता है घोर नरक और जीवनभर की परेशानियां पंडितजी के पास गए श्रीकृष्ण यशोदा मैया के इतने कहने पर झट से कृष्णजी नंद बाबा से पूछने चले गए। लेकिन नंद बाबा ने कहा कि अभी तुम छोटे ही हो इसलिए बछड़ों को चराओ लेकिन कृष्णजी अपनी बात पर अड़े रहे। बालक की जिद को देखते हुए नंद बाबा ने कहा, अच्छा ठीक है… जाओ पंडितजी को बुला लाओ, गोचारण का मुहूर्त निकलवा लेंगे। कृष्ण भागे-भागे पंडितजी के पास गए और बोले कि पंडितजी-पंडितजी जल्दी से गायों को चराने का मुहूर्त निकाल दो… मैं आपको खूब सारा माखन दूंगा। पूरे ब्रज में मनाया जाता है गोपाष्टमी का उत्सव पंडितजी को कृष्णजी की बात पर हंसी आ गई और कहा कि चलो नंद बाबा के पास चलते हैं। पंडितजी पंचांग लेकर कृष्णजी के साथ नंद बाबा के पास चलेऔर इसके बाद पूरे साल तक कोई मुहूर्त नहीं है। पंडितजी की केवल यही बात सुनकर कृष्णजी भागकर गए और गायों को चराने के लिए निकल पड़े। कृष्णजी ने जिस दिन से गाय चराना शुरू किया था, उस दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी, इसलिए इस दिन गोपाष्टमी का पूरे ब्रज में उत्सव मनाया जाता है और गौ वंश की पूजा की जाती है। गोपाष्टमी की अन्य कथा मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तिथि तक भगवान कृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को उठा रखा था। #समाज

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