( अनुशीर्षक ) तुम्हें पता है तुम्हारे मन की चंचलता और ह्रदय की सुंदरता से मेरी पूरी देह में बस चुकी है, ठीक वैसे जैसे बनारस के घाट पर अटका घर लौटने पर हज़ारों प्रेमियों का मन,. एक एक सीढ़ी उतरने पर मेरी रही -बची थोड़ी सी भी