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White गीता ११।५४) {Bolo Ji Radhey Radhey} जय श्री

White गीता ११।५४)
{Bolo Ji Radhey Radhey}
जय श्री राधे कृष्ण जी।।
'परंतु हे परंतप अर्जुन! अनन्य भक्ति 
के द्वारा इस प्रकार चतुर्भुज रूप वाला, 
मैं प्रत्यक्ष देखने के लिये, तत्त्व से 
जानने के लिये तथा प्रवेश करने के 
लिये अर्थात् एकीभाव से प्राप्त 
होने के लिये भी शक्य हूँ।'

©N S Yadav GoldMine
  #love_shayari गीता ११।५४){Bolo Ji Radhey Radhey}
जय श्री राधे कृष्ण जी।।
'परंतु हे परंतप अर्जुन! अनन्य भक्ति 
के द्वारा इस प्रकार चतुर्भुज रूप वाला, 
मैं प्रत्यक्ष देखने के लिये, तत्त्व से 
जानने के लिये तथा प्रवेश करने के 
लिये अर्थात् एकीभाव से प्राप्त 
होने के लिये भी शक्य हूँ।'

#love_shayari गीता ११।५४){Bolo Ji Radhey Radhey} जय श्री राधे कृष्ण जी।। 'परंतु हे परंतप अर्जुन! अनन्य भक्ति के द्वारा इस प्रकार चतुर्भुज रूप वाला, मैं प्रत्यक्ष देखने के लिये, तत्त्व से जानने के लिये तथा प्रवेश करने के लिये अर्थात् एकीभाव से प्राप्त होने के लिये भी शक्य हूँ।' #मोटिवेशनल

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