आज से हक़ है तुम्हें मेरे क़रीब आने का! मगर सोचना भी मत मुझसे दूर जाने का! आज से हक़ है तुम्हें मेरी माँग सजाने का! मगर सोचना भी मत सिंदूर किसी को बाँटने का! मैंने सारे हक़, ख़ुशी ख़ुशी तुम्हें दिए फ़र्ज़ तुम्हारा, रिश्ता प्रेम से निबाहने का..! ♥️ Challenge-621 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।