हमेशा बढ़ती रहती हैं कभी घटने का नाम ही नहीं लेती हैं, कभी धरती नापना चाहती हैं तो कभी चांद पे घर बनाना चाहती हैं अथाह समुद्र की तरह उसकी ख्वाहिशें भी अथाह हैं।। सुप्रभात। इंसान की ज़रूरतें और उसकी चाहतें ज़रूरी नहीं अथाह हों... #इंसानकीज़रूरतें #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi