छुपा के रखा है अपने अन्दर् के लेखक को एक दिन बाहर लाऊगा रंग बिंरगी दुनिया कि तुझे सैर कराऊगा शब्दो को जोड जोड के सुन्दर् महल् बनाऊगा छुपा के रखा है अपने अन्दर के लेखक को एक दिन बहार लाऊगा तेरी क्या अहमियत है तुझे दर्पण मे दिखाऊगा ताज होटल के चाय कि छुस्कि लेके अकेले मे मुस्कुराऊ गा शरीर से बुढा हो जाने दो मन कि गति से दौड लगाऊगा छुपा के रखा है अपने अन्दर् के लेखक को एक दिन बहार लाऊगा pooja negi#