नहीं है रोकने को कोई पर फिर भी मेरे वचनों ने बांध दिया कभी बांधा खुद ने, कभी अपनों ने बांध दिया कभी बांधा जिम्मेदारियों ने, रिश्तों ने, फर्ज ने तो कभी सपनों ने बांध दिया यूं तो न फिरता आवारा मैं पर पाना चाहूं सुकून थोड़ा तो दिल की खातिर धड़कनों ने बांध दिया। ©SHIVAM KARNE बांध दिया