ना खुद से खुश हूॅं ना खुद से दुखी हूॅं लगता तन्हा हूॅं या किसी की यादों में उलझा हूॅं मानो कटी पतंग सा उड़ा जा रहा ना कोई दिशा ना कोई मंज़िल बस वक्त सा गुजरता जा रहा था गुम जो किसी की तलाश में खो दिया उसने खुद का वजूद ही कह दे उन ना उम्मदियो से अच्छी तुझसे ये झूठी उम्मीदिया कर छलावे मन से मेरे जो दे जाती चंद पल की खुशियां लगता हूं अकेला तो मिलता लोगों का मेला होकर शामिल जिसमें भी साथ चलती बस तन्हाईयां। OPEN FOR COLLAB✨ #ATmanbg69 • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ Collab with your soulful words.✨ • Must use hashtag: #aestheticthoughts • Please maintain the aesthetics.