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HAPPY Diwali | Short Story 01 Happy Diwali | लघुकथ

 HAPPY Diwali | Short Story 01
Happy Diwali | लघुकथा । 01 

पूरा गाँव जगमग रोशनी में डूबा था । अमावस का आसमान भी आज उजाले से नहाया था, रंग बिरंगी रोशनी आसमान को रंग बिरंगा कर रहीं थीं । गुप्ता जी के यहाँ 5000 के पटाख़े आये थे, भई कॉम्पटीशन जो था सामने वाले यादव जी से कौन कितना ज़्यादा देर तक पटाखा छोड़ेगा , वहीं मिश्रा जी ने सारा ख़र्च नई नई झालर में कर दिया था , ये रंग बिरंगी झालर, लेसर लाइट , घूमने वाला बल्ब और तमाम ताम झाम । 
गांव के बाहर कोने में एक छोटा सा घर था , उस घर में बैठी औरत बार बार बाहर की ओर झाँक रही थी । एक साइकिल आकर रुकी और एक नौजवान उससे उतरा । 
" माँ बाहर क्यूँ बैठी हो " - उसने कहा 
"अंदर अंधेरा था तो सोचा मैं बाहर बैठ के तुम्हारा इंतेज़ार   कर लेती हूँ " 
"अच्छा ये बता आज बिक्री हुई क्या ?" - औरत ने पूंछा
 HAPPY Diwali | Short Story 01
Happy Diwali | लघुकथा । 01 

पूरा गाँव जगमग रोशनी में डूबा था । अमावस का आसमान भी आज उजाले से नहाया था, रंग बिरंगी रोशनी आसमान को रंग बिरंगा कर रहीं थीं । गुप्ता जी के यहाँ 5000 के पटाख़े आये थे, भई कॉम्पटीशन जो था सामने वाले यादव जी से कौन कितना ज़्यादा देर तक पटाखा छोड़ेगा , वहीं मिश्रा जी ने सारा ख़र्च नई नई झालर में कर दिया था , ये रंग बिरंगी झालर, लेसर लाइट , घूमने वाला बल्ब और तमाम ताम झाम । 
गांव के बाहर कोने में एक छोटा सा घर था , उस घर में बैठी औरत बार बार बाहर की ओर झाँक रही थी । एक साइकिल आकर रुकी और एक नौजवान उससे उतरा । 
" माँ बाहर क्यूँ बैठी हो " - उसने कहा 
"अंदर अंधेरा था तो सोचा मैं बाहर बैठ के तुम्हारा इंतेज़ार   कर लेती हूँ " 
"अच्छा ये बता आज बिक्री हुई क्या ?" - औरत ने पूंछा