बदलते रंग ढंग हरदम, बदलते तुम हम हमदम। उड़ी जब ज़ुल्फ़ क़यामत, बाद-ए-सबा मद्धम मद्धम। दीवाने हुए हैं तेरे, तू आफरी चंचल चितवन। मुझे क्या रोग हुआ है? ये कैसा तुझ संग बंधन? किसे तू ढूँढ रहा है? इधर तेरी जान-ए-उल्फ़त। मेरे न जैसा कोई, मैं नूर-ए-हुस्न मुजस्सम। ♥️ Challenge-704 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।