ओ दादा, ए भौजी, मेरी बात सुनो काम देश के आए जो, वो सरकार चुनो बड़े बड़े वादों को बुन कर,सैयाद फैलाए जाल जो भी चुगने बैठा उसपर , बना वो उसका काल कुर्सी के पायों से खुर्चे, दाँत फँसा वो माल उम्मीदों की अर्थी निकले पूरे पाँचों साल हिन्द हितों से बैर करे जो, धुननी से इस बार धुनो काम देश के आए जो, वो सरकार चुनो बड़ा विकट है, घोर ये कलयुग, बात बता है बँटवारा आँगन में जो चाँद खिला है, वो चंदा से है हरा परचम का रंग बना ख़ुदा है, झंडे ने है ललकारा अज़ान आरती के टुकड़े से, अब होता है जयकारा धोभीपछाड़ कर हर साजिश को, एक नया तुम हिन्द बुनो काम देश के आए जो, वो सरकार चुनो काम देश के आए जो, वो सरकार चुनो ओ दादा, ए भौजी, मेरी बात सुनो