लोग कहते हैं लिखते अच्छा हो तुम्हारे अल्फ़ाज़ उम्दा है लिखते हो जो मुसायरे उन्हें दिल से जोड़ते बढ़िया हो इश्तिआल कहां से लाते हो किसके किस्से दोहराते हो जिसकी तमन्ना में तप रहे हो खुद को राख करते जा रहे हो रेत के बने हो तुम और हवाओं से बैर लेते हो आफताब है वो तुम महताब से दहकक उठते हो शम्स सी कशिश नूर-ए-क़मर के अरमान रखते हो साहिल-ए-खुल्द पर हो और तुम मर्ग से इंकार करते हो तअस्सुर से जिसके इज़्तिराब रहते हो मश्शियते हैं तुम्हे जिसके मुसलसल कुब्र की अर्श पर बैठा वो क्या तुमारे होने का इल्म रखता है ? ©Nikhil Ranjan " किसके किस्से दोहराते हो.." #अल्फ़ाज़ #किस्से #तम्मना #महताब #मर्ग #original #खुदकीकलमसे #follow