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तनहाई रास नहीं आती अब हमें, मुद्दतों से अकेला जो ठ

तनहाई रास नहीं आती अब हमें, मुद्दतों से अकेला जो ठहरा
आँसू भी सूख गए इन आँखों के,  समंदर जो बह निकला तन्हाई रास नही आती, इन जीवन के गलियारों में।
बुझने से पहले कहाँ खोती, लौ छिपते अँधियारों में।।

आओ अब कुछ लिख जायें।।
कोलाब कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :-

#तन्हाईरासनहीआती
#collabwithकाव्यपथिक
तनहाई रास नहीं आती अब हमें, मुद्दतों से अकेला जो ठहरा
आँसू भी सूख गए इन आँखों के,  समंदर जो बह निकला तन्हाई रास नही आती, इन जीवन के गलियारों में।
बुझने से पहले कहाँ खोती, लौ छिपते अँधियारों में।।

आओ अब कुछ लिख जायें।।
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#तन्हाईरासनहीआती
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krishvj9297

Krish Vj

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