तनहाई रास नहीं आती अब हमें, मुद्दतों से अकेला जो ठहरा आँसू भी सूख गए इन आँखों के, समंदर जो बह निकला तन्हाई रास नही आती, इन जीवन के गलियारों में। बुझने से पहले कहाँ खोती, लौ छिपते अँधियारों में।। आओ अब कुछ लिख जायें।। कोलाब कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :- #तन्हाईरासनहीआती #collabwithकाव्यपथिक