शीर्षक - दे दो, दे दो,हमको पुरानी पेंशन ----------------------------------------------------------------- (शेर)- अगर नहीं की तुमने बहाल, हमारी पुरानी पेंशन। बदल देगी तुम्हारी सत्ता को, चुनावों में यह पेंशन।। संघर्ष और यह मुद्दा हमारा अब तुम, दबा नहीं सकते। लेकर ही दम लेंगे अब तो हम, हमारी यह पुरानी पेंशन।। --------------------------------------------------------------------- दे दो, दे दो, हमको पुरानी पेंशन। वरना होगी चुनावों में, तुमको टेंशन।। भूल नहीं जाना, भूल नहीं जाना।। देना हमको हमारी, पुरानी पेंशन।। दे दो, दे दो,हमको--------------------।। भीख नहीं तुमसे, मांग हम रहे हैं। हम ही हमारा, मांग हम रहे हैं।। दया नहीं हमको, हमारा सम्मान दो। फिर से करके बहाल, पुरानी पेंशन।। दे दो, दे दो, हमको------------------।। हम नहीं, देश को तुम लूट रहे हो। पेंशन पुरानी क्यों, तुम ले रहे हो।। नई पेंशन अगर है, लाभदायक बहुत। लेते क्यों नहीं हो तुम, नई पेंशन।। दे दो, दे दो, हमको------------------।। इस पेंशन को रेवड़ी, तुम बोलते हो। इसी रेवड़ी के लिए, तुम तड़पते हो।। लेकर ही लेंगे दम, पुरानी पेंशन। होगा मुद्दा चुनावों में, अब पेंशन।। दे दो, दे दो, हमको--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार- गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #दे दो हमको पुरानी पेंशन