दिल लगाया नहीं जाता जुड जाता है इश्क़ किया नहीं जाता हो जाता है दर्द छूपाने से नहीं छूपता आंसूओ से छलक जाता है इश्क़ दिखाए से नहीं सजदा हो सकता उसे इजहार करके कबुल किया जाता है यू तो खामोश दिल टूट जाता है फिर भी जताता नहीं उसे आंखों से ही इश्क़ कर सुखुन के पल समेटता है इश्क़ से रुबरु होना कौन नहीं चाहता सब इश्क करते हैं लेकिन उनकि चाहत कब कि खत्म हो जाती है हम बिना बोले ही चाहत मे अब भी उसपे जान लूटाते है। ©SUREKHA THORAT #ishak