ये बेआबरू सड़कें, लंबी चौड़ी सी, धरती के सीने पर बेबाक दौड़ती! नदियों और पहाड़ों से अठखेलियाँ करतीं! बीहड़ों और मरुस्थलों से सरपट गुजरतीं! बरसात में मुंह खोले इन्तजार करती हैं! अपने बड़े-बड़े गड्ढों के साथ, इनपर गुजरने वालों का रिश्ता, मौत से तय करने के लिए! ये बेआबरू सड़कें, जिनकी अस्मत लूट कर, इंजीनियर और कांट्रेक्टर, अपने बीवी बच्चों के तन ढकते हैं, निगल जाती हैं कितनी ही जिंदगियाँ, ये बेआबरू सड़कें। #kushal