#OpenPoetry एक ख्वाब लिए मै बैठा हूं देखू इसे या इसरार करू या अपनी पाक मुहब्बत का, आंखों आंखों इजहार करू..!! लब सूखे है बेचैन है दिल, और वक़्त लगा पर उड़ता है, चुप रह कर ही खामोशी से, मै कैसे सब इकरार करू..!! वो बैठी है मै बैठा हूं, और मंद हवाएं चलती है, देखू उसको, रोकू खुद को , मै कैसे उसको प्यार करू..!! एक ख्वाब लिए मै बैठा हूं , देखू इसे या इसरार करू #pj #OpenPoetry