बंजर धरती का चमकता सितारा ...3 ******************************** सुबह के लगभग दस बज चुके थे , बारिश छुटने का नाम नहीं ले रही थी । मूसलाधार बारिश होने के कारण डॉ रणवीर की नौकरानी काम करने के लिए नहीं आ सकी । डॉ रणवीर और डॉक्टर सुनीता दोनों को अस्पताल जाना था लेकिन तीन वर्ष का बेटा अनुप को किसके भरोसे छोड़कर जाती। सुनिता बार - बार नौकरानी कमला को फोन कर रही थी लेकिन फोन नाट रिचेवल बता रहा था । नौकरानी नहीं आने के कारण अभी तक नाश्ता भी नहीं बना था । इधर बारिश और हवा दोनों तूफान मचा रही थी । डाक्टर पति - पत्नी सोफा पर बैठे हुए थें और बेटा अनुप पलंग के मोटे गद्दे पर उछल रहा था । डाक्टर सुनीता कभी बेटे को खेलते हुए देखती तो कभी नास्ता और दोपर के भोजन के बारे में सोचने लगती । फिर सुनीता उठकर रसोईघर कि ओर चली गई , थोड़ी देर बाद बेटे को खाने के लिए बिस्कुट दी और अपने दोनों के लिए चाय के साथ टोस लेकर आई । बंगले के बाहर ऐसा लग रहा था जैसे हफ्तों बारिश नहीं छुटने वाली । चारों ओर आसमान में अंधेरा घनघोर छाया हुआ था । इधर रणबीर अपने बेटे को खेलता देख देख कर मन ही मन उसके भविष्य के बारे में सोच हीं रहा था , कि अचानक सुनिता अपने पति से बोली बेटा बड़ा हो गया है , इसका किसी अच्छे स्कूल में नाम लिखा दो । रणवीर ....नाम तो लिखा दुंगा लेकिन लाना और लेजाना घर में होमवर्क बनवाना यह सब कौन करेगा । तुम भी सुबह से शाम तक अस्पताल में छुट्टी के बाद प्राईवेट प्रेक्टिस , मेरा भी यही हाल , हम दोनों को समय हीं कहां मिलता है जो बेटे का ख्याल रख सकें । रणवीर ............. सुनीता...... मेरा एक सुझाव है....... तुम अपना नौकरी छोड़ दो और अपने बेटे का भविष्य पर ध्यान दो । सुनीता ....नहीं मैं नौकरी नहीं छोड़ सकती हूं। रणवीर ... क्यों ...? सुनीता.....डेढ़ से दो लाख रुपए महिना मैं छोड़ दूं ......मैं नहीं छोड़ सकती । रणबीर .... इतना पैसा क्या करोगी.....करोड़ों रुपए बैंक बैलेंस , करोड़ों कि सम्पत्ती सब कुछ तो है हमारे पास , गांव पर भी बाप दादा का सम्पत्ती भरा पड़ा है , खाने वाला कोई नहीं है। ------------------------------- प्रमोद मालाकार की कलम से ___________________ कहानी आगे पेज ...4 ©pramod malakar #बंजर धरती का चमकता सितारा 3