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निश्छल प्रेम जाने कितने रंगों में रंगा है प्रे

 निश्छल प्रेम 
 
जाने कितने रंगों में रंगा है प्रेम ।
,प्रियसी,माँ,बहन, मित्र,अर्धांगिनी,आदि का प्रेम ।
हर स्वरूप में सुखद अनुभूति देता,
और कुछ नही वह है केवल प्रेम।

ये जग सूना है बिन प्रेम ।
गहनता ,निस्वार्थता,निश्छलता से निभता प्रेम ।
भोग की वस्तु कदापि नही,
अंर्तमन से जुड़ा है प्रेम।

सरल, सहजता से परिपूर्ण हो प्रेम  ।
कपट , द्वेष, अंहकार के विपरीत है प्रेम।
 किसी बंधन में बांध के रखना नही,
 अपितु भावनाओं का जुड़ाव है प्रेम ।

रश्मि वत्स।
मेरठ (उत्तर प्रदेश)

©Rashmi Vats
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