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गिरना, टूटना, बिखरना, बस यही रह गया है। मोहब्बत का

गिरना, टूटना, बिखरना, बस यही रह गया है।
मोहब्बत का परिंदा, आज आकर यही कह गया है।।
हँसना, मुस्कराना सब कुछ था इस जिंदगी में यारों।
जबसे जुदा हुई है मोहब्बत, बस दर्द ही दर्द रह गया है।।

©Shubham Bhardwaj
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