धागे जब सज कर प्रेम का रंग लेती
तो स्वरूप कुछ जज्बातों सा सवंर जाती
आहिस्ता आहिस्ता उस धागों का स्वरूप
जब रिश्तों के कलाईयों पर अपना उपस्थिति रखता
तो सम्बन्धों के स्वरूप सहजता के साथ मुस्काती
और जब वो सम्बन्धें, अभिव्यक्त होता
तो आपक्ता का नया उत्कर्ष होता
दो चेहरे मुश्काते, खिलखिलाते