मैं घास हूँ मैं आपके हर किए धरे पर उग आऊंगा चाहे बम फेंक दो विश्वविद्यालयों पर बना दो होस्टलों को मलबे का ढेर चाहे सुहागा फिरा दो हमारी झोपड़ियों पर मेरा क्या करोगे? मैं तो घास हूँ हर चीज पर उग आऊंगा #inqalabipoetry