क्या बताऊंँ तुम्हें, उन्हें मेरी खामोशी कि परवाह किस कदर है, मेरे खामोश होते ही वह भी खामोश होजाते हैं। ये जो रह चलते आशिक़ नाज जो अपनी इश्क़ पे बाखूब करते हैं, इन्हें खबर नहीं, मेरी एक कसम के लाज के ख़ातिर उन्होंने निभाया कहाँ तक है। #लाज