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पित्तलो के पतिले सूने सूने पडे है आज भी दाने जोवार

पित्तलो के पतिले सूने सूने पडे है आज भी
दाने जोवार, बाजरी के नही जड़े है आज भी

भूख बिलखकर रोती है माँ की कलाई से
तकदीर में दरिद्रता के बोरे, घड़े है आज भी

रहम नही आता है उन्हे किसी की गरीबी पर
गोदामो में जिनके माल सड़े पड़े है आज भी

एक तरफ मायुसीयत, एक तरफ खुशहाली
अमिरी और गरीबी के झंडे गड़े है आज भी

मिटाने हर अंधःकार और मार गिराने दायरे
कहाँ सब एक होकर लोग खड़े है आज भी कुछ चीज़ें अधूरी पड़ी हैं।
#आजभी #collab #yqdidi
#cinemagraph    #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
पित्तलो के पतिले सूने सूने पडे है आज भी
दाने जोवार, बाजरी के नही जड़े है आज भी

भूख बिलखकर रोती है माँ की कलाई से
तकदीर में दरिद्रता के बोरे, घड़े है आज भी

रहम नही आता है उन्हे किसी की गरीबी पर
गोदामो में जिनके माल सड़े पड़े है आज भी

एक तरफ मायुसीयत, एक तरफ खुशहाली
अमिरी और गरीबी के झंडे गड़े है आज भी

मिटाने हर अंधःकार और मार गिराने दायरे
कहाँ सब एक होकर लोग खड़े है आज भी कुछ चीज़ें अधूरी पड़ी हैं।
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