उम्र हो चली है.. पड़ाव आख़री है.. तू दूर है मुझसे.. ये अफ़सोस है मुझे.. गलती तेरी नही.. शिकवा शिकायत भी ना तुझसे है.. ये निर्णय तो मेरा ही था.. की तू अपने पैरों पर मजबूती से खड़ा हो.. फिर तू क्यों उदास है.. कर्तव्य पथ पर चल.. बस ध्यान इतना रख.. औलाद तेरी भी है.. और तूझे भी उन्हें अपने से ज्यादा मजबूती देनी है... वादा कर तू भी ना डरेगा.. ना झुकेगा.. उनकी तरक्की में.. तेरा प्यार ना रोड़ा बनेगा.. बस और कुछ ना चाहिए मुझे.. ये कर्त्तव्य पथ ही है तेरा.. अग्निपथ.. अग्निपथ.. अग्निपथ.. #दिनेशपांडेय Collaborating with Euphonic Hymns