आज़ाद विचार की आजाद चिड़िया हूं मैं, उन्मुक्त गगन में फिरू डाल डाल, भरोसा है खुद के पंखों पर, किसी से कहा डरी हूं मैं, सबसे ऊंचे पेड़ पर बनाऊं अपना घोंसला, ऊंचाई से कहा घबराई हूं मैं, भरोसा है खुद के पंखों पर, किसी से कहा डरी हूं मैं, हर मौसम मौज करू और कूदें-फाँ, सब कुछ जाएँ भूल, भरोसा है खुद के पंखों पर,किसी से कहा डरी हूं मैं, दाना दाना इकट्ठा करूं, अपने बच्चों का पेट भरू, सदा फुदकती, कभी न थकती, कोई पास आए तो फुर्र हो जाती, मीठी मधुर वाणी से सबको बहलाती, छोटी सी नन्ही सी हूं मैं,मुश्किलों से लड़ी हूं मैं, फिर भी ना घबराती। ➡ प्रतियोगिता संख्या- 01 ➡ शीर्षक:- चिङिया उड़ी ➡ कोई शब्द सीमा नहीं है। ➡ इस प्रतियोगिता में आप सभी को इस शीर्षक पर collab करना है।