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अब क्या ही करूं मैं भला, इस मोहब्बत के समंदर का...

अब क्या ही करूं मैं भला,
इस मोहब्बत के समंदर का...........
कौन करेगा रुख इसका,
मकां हो गया है खंडहर सा............
मैं रोज़ाना सजाता हूं यहां,
महफ़िलें शेर-ओ-शायरी की..........
कमबख़्त मरता क्यों नहीं,
अब आशिक मेरे अंदर का.............

©Poet Maddy अब क्या ही करूं मैं भला,
इस मोहब्बत के समंदर का...........
#Sea#Love#Visit#House#Ruin#Decorate#Gathering#Poetry#Die#Lover.........
अब क्या ही करूं मैं भला,
इस मोहब्बत के समंदर का...........
कौन करेगा रुख इसका,
मकां हो गया है खंडहर सा............
मैं रोज़ाना सजाता हूं यहां,
महफ़िलें शेर-ओ-शायरी की..........
कमबख़्त मरता क्यों नहीं,
अब आशिक मेरे अंदर का.............

©Poet Maddy अब क्या ही करूं मैं भला,
इस मोहब्बत के समंदर का...........
#Sea#Love#Visit#House#Ruin#Decorate#Gathering#Poetry#Die#Lover.........
manishsaini7413

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