अब क्या ही करूं मैं भला, इस मोहब्बत के समंदर का........... कौन करेगा रुख इसका, मकां हो गया है खंडहर सा............ मैं रोज़ाना सजाता हूं यहां, महफ़िलें शेर-ओ-शायरी की.......... कमबख़्त मरता क्यों नहीं, अब आशिक मेरे अंदर का............. ©Poet Maddy अब क्या ही करूं मैं भला, इस मोहब्बत के समंदर का........... #Sea#Love#Visit#House#Ruin#Decorate#Gathering#Poetry#Die#Lover.........