खुशहाली के कपड़े टांगे, बदहाली के तारों पर, हमने हरदम ढंकना सीखा, सिलता रहा किनारों पर । खुद में मकड़ी,खुद में जाला, उलझा रहा इशारों पर, इश्क़ है बेचा, इल्म खरीदा, मकां बनेगा सितारों पर ।। जाल