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गुलाब की महक सा यह मरासिम, रूह के लिबास की चमक बन

गुलाब की महक सा यह मरासिम,
रूह के लिबास की चमक बन गया।

सुनाने वाला कोई यादों में खो गया,
सुनने वाला उसकी बातों में खो गया।

बस रहा तेरा इंतज़ार बाकी अब तो,
तू अश्क़ बनकर आँखों में रह गया।

दोस्ती से भी आगे बढ़ गया है जो,
वो इश्क़ बस मेरे दिल में रह गया। •●• जीएटीसी क्रिएटिविटी - ८ •●•
           《चैलेंज: ६》

कोलाॅब कीजिए ४-८ पंक्तियाँ पृष्ठभूमि में लिखें। अपनी पूर्ण रचना को अधिकतम १६ पंक्तियों में अनुशीर्षक में लिखें। ( अनुशीर्षक में लिखने के लिये कोई भी बाध्यता नहीं है। )

आपकी पृष्ठभूमि की पंक्तियों को आप अनुशीर्षक में दोहरा सकते हैं। 

अनिवार्य हैशटैग:
गुलाब की महक सा यह मरासिम,
रूह के लिबास की चमक बन गया।

सुनाने वाला कोई यादों में खो गया,
सुनने वाला उसकी बातों में खो गया।

बस रहा तेरा इंतज़ार बाकी अब तो,
तू अश्क़ बनकर आँखों में रह गया।

दोस्ती से भी आगे बढ़ गया है जो,
वो इश्क़ बस मेरे दिल में रह गया। •●• जीएटीसी क्रिएटिविटी - ८ •●•
           《चैलेंज: ६》

कोलाॅब कीजिए ४-८ पंक्तियाँ पृष्ठभूमि में लिखें। अपनी पूर्ण रचना को अधिकतम १६ पंक्तियों में अनुशीर्षक में लिखें। ( अनुशीर्षक में लिखने के लिये कोई भी बाध्यता नहीं है। )

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akankshagupta7952

Vedantika

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