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अधूरा सच एक वीरान - सी बस्ती थी ना जाने कब से उज

अधूरा सच एक  वीरान - सी  बस्ती थी
ना जाने कब से उजड़ी थी
एक दिन एक मदारी आया
वो बोला
मेरी बात को अपना कर तो देखो
फिर से जी उठेगी ये बस्ती 
बस्ती का मुखिया खोया -सा रहता
पूरी ही बस्ती में हरियाली छाने लगी थी 
बरसात भी हल्की - हल्की होने लगी थी
चारों ओर संगीत की मदहोशी- सी बिखरी थी
बस्ती का मुखिया घोर निराशा में डूबा था
ऐसे कब तक सजाओगे
इस बस्ती को , मुखिया ने कहा।
जिसे आज तक कोई सजा ना पाया हो
कल जो मदारी  आया उस वीरान बस्ती में
वो आज जा चुका है
अफ़सोस की बात है .....
बस्ती कल भी वीरान थी ......
बस्ती आज भी वीरान है.....
कहीं कल भी ....! #वीरनी_सी
अधूरा सच एक  वीरान - सी  बस्ती थी
ना जाने कब से उजड़ी थी
एक दिन एक मदारी आया
वो बोला
मेरी बात को अपना कर तो देखो
फिर से जी उठेगी ये बस्ती 
बस्ती का मुखिया खोया -सा रहता
पूरी ही बस्ती में हरियाली छाने लगी थी 
बरसात भी हल्की - हल्की होने लगी थी
चारों ओर संगीत की मदहोशी- सी बिखरी थी
बस्ती का मुखिया घोर निराशा में डूबा था
ऐसे कब तक सजाओगे
इस बस्ती को , मुखिया ने कहा।
जिसे आज तक कोई सजा ना पाया हो
कल जो मदारी  आया उस वीरान बस्ती में
वो आज जा चुका है
अफ़सोस की बात है .....
बस्ती कल भी वीरान थी ......
बस्ती आज भी वीरान है.....
कहीं कल भी ....! #वीरनी_सी