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इन पर्वतों में न जाने समाएं है राज़ कितने ख़ामोश स

इन पर्वतों में न जाने समाएं है राज़ कितने
ख़ामोश से रहते हैं, पर अपने अंदर है
इक गहरा समंदर छुपाए
भाषा की बोली इनकी अलग सी होती
अपनी शीलाओं में अपनी इक सदी छुपाते
वन्य औषधियों का भंडार
रखतें गर्भ में अपने।

©Sarita Kumari Ravidas
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ख़ामोश पर्वत

#mountainsnearme ख़ामोश पर्वत #कविता

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