मन की आखों से देखों क्योंकि मन की आखों से देखों क्योंकि मन की आँखों से देखोगे तो हर चीज तुम्हे सुंदर नजर आएगी ।फिर किसी मे भी तुम्हे कोई कमी या दोष नजर नही आएगा। हमारा मन ही हमारा दर्पण होता है।जब हम अपने मन के दर्पण में देखना शुरू करते हैं तो बाहरी दुनियाँ से धीरे धीरे हम अलग हो जाते हैं ।फिर हमें किसी मे कोई भिन्न भेदभाव नजर नही आता।बाहरी दुनियाँ भी उतनी ही खूबसूरत नजर आती है, जितनी अंदर की होती है । जब आप मन की आँखों से देखना शुरू कर देते हो तो फिर मन के अंदर के वैर भाव सब मिट जाते हैं और एक हल्की सी रोशनी आपके जीवन को उजयारा कर देती।मन की आँखों से जब आप देखना शुरू कर देते हो तो जो ब्रमांड में बाहर है, वही भीतर नजर आता है। कहा भी गया हैं यथा ब्रह्माण्डे तथा पिंडे।जो ब्रह्मांड में है वही सब हमारे भीतर बसता है। मन की आँखों से देखोगे तो तुम्हे सब में वो परमात्मा का स्वरूप नजर आएगा ।क्योकि आत्मा ही परमात्मा है । एक आत्मा ही है जो उस परमात्मा से साक्षात्कार कराती है मन की आँखे खोल रे बन्दया मन की आँखे खोल बाकि है सब झोल रे बन्दया बाकि है सब झोल ©Dr Manju Juneja #मनकीआँखोसे #दुनियाँ #सुंदर #नजर #philosophy #positivequotes #thoughtoftheday #life #दर्पण # #AdhureVakya