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मुझे भूलने की आदत नहीं, लेकिन भूलना पड़ा, तेरी य़ाद

मुझे भूलने की आदत नहीं,
लेकिन भूलना पड़ा,
तेरी य़ादे अक्सर बिन कहें,
बिन पुछे,
दिल के दरवाजें तक आ जाती हैं,
और आँखाें के रास्ते बाहर झलक आती हैं,
मुझे भूलने की आदत नही,
लेकिन भूलना पड़ा,

हर रोज रात का अकेलापन सताता था,
बिन कहें दिल मे उतर जाता था,
तड़प जाती थी मेरी रूह तुझसे मिलने को,
और ना मिल पाने से दर्द बढ़ जाता था 
मुझे भूलने की आदत नही,
लेकिन भूलना पड़ा मुझे भूलने की आदत नहीं,
लेकिन भूलना पड़ा,
मुझे भूलने की आदत नहीं,
लेकिन भूलना पड़ा,
तेरी य़ादे अक्सर बिन कहें,
बिन पुछे,
दिल के दरवाजें तक आ जाती हैं,
और आँखाें के रास्ते बाहर झलक आती हैं,
मुझे भूलने की आदत नही,
लेकिन भूलना पड़ा,

हर रोज रात का अकेलापन सताता था,
बिन कहें दिल मे उतर जाता था,
तड़प जाती थी मेरी रूह तुझसे मिलने को,
और ना मिल पाने से दर्द बढ़ जाता था 
मुझे भूलने की आदत नही,
लेकिन भूलना पड़ा मुझे भूलने की आदत नहीं,
लेकिन भूलना पड़ा,
atitarya8182

Atit Arya

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