नेहिल आशा को दुलार कह गए तुम कि आता हूँ तब से मैं प्रतिपल तुम्हारी प्रतीक्षा में बिताता हूँ उस एक पल में कल्प-अकल्प जीता जाता हूँ तुम्हारी कही हर बात अनायास दोहराता हूँ आजकल मैं स्वयं से घण्टो खूब बतियाता हूँ जब-तब अपने ही स्पर्शों से पुलकित हो जाता हूँ सहेजी गई छवियों की धूल पलकों से हटाता हूँ मन का आँगन बुहारती रहती हैं नित आँखें हृदवीथि में तुम्हारे सौ-सौ प्रतिमान सजाता हूँ श्वाँसों में रमते राम हुए मधुगान तुम्हारे गाता हूँ आ जाओ मेरे नेहनिलय मैं तुमको नित्य बुलाता हूँ #toyou#कहाँतुमचलेगएहो#yqlove#yqwaitingfor#yqfaith#yqmusings